कथा रसिक राजा
राजा बहुत ही कथा रसिक था... उसको कहानी सुनने की बहुत तलब रहती थी । वह रोज कहानी सुनता और कहानी भी बिल्कुल नयी .. यदि कोई आदमी उसको पहले से सुनी हुई कहानी सुना देता , तो राजा उसकी गर्दन काट देता था ! लोगों के धैर्य का बाँध टूटने लगा ! अब कहानी सुनाने के लिये कोई भी नहीं आ रहा था । राजा को जब कहानी की तलब लगी तब वह चीखने लगा कि सभी दरबारियों को मौत की सजा दूँगा , नहीं तो कहानी सुनाने वाला बुला कर लाओ । दरबारी गिडगिड़ा रहे थे । उन्हें गिडगिड़ाते देखा तो एक नौजवान आ गया .. लोग सोचने लगे कि यह खुद ही मौत के मुँह में आ रहा है ! राजा भी उसे देख कर मन में खुश हो रहा था कि >> इसका भी अन्त करना है । ऊपर से बोला > नौजवान ! नयी कहानी सुनाओ : नौजवान बोला >> राजन् ! पुराने जमाने की बात है कि मेरे बाबा आपके बाबा के साथ शिकार करने जंगल में गये । इतना बड़ा धनुष उनके पास था , जिसकी एक नोक नदी के एक पार पर आती थी और दूसरी नोक दूसरे किनारे पर ! राजा वह धनुष आपने देखा है ? राजा बोला >> नहीं । तब नौजवान ने कहा कि > नहीं देखा है तो फिर आज आप आराम करो । कल फिर नयी कहानी सुनाऊँगा