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ARUN SONKAR JI

कथा रसिक राजा

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राजा बहुत ही  कथा रसिक था... उसको कहानी सुनने की बहुत तलब रहती थी । वह रोज कहानी सुनता और कहानी भी बिल्कुल नयी .. यदि कोई आदमी उसको पहले से सुनी हुई कहानी सुना देता ,  तो राजा उसकी गर्दन काट देता था ! लोगों के धैर्य का बाँध टूटने लगा ! अब कहानी सुनाने के लिये कोई भी नहीं आ रहा था । राजा को जब कहानी की तलब लगी तब वह चीखने लगा कि सभी दरबारियों को मौत की सजा दूँगा , नहीं तो कहानी सुनाने वाला बुला कर लाओ । दरबारी गिडगिड़ा रहे थे ।  उन्हें गिडगिड़ाते देखा तो एक नौजवान आ गया .. लोग सोचने लगे कि यह खुद ही मौत के मुँह में आ रहा है ! राजा भी उसे देख कर मन में खुश हो रहा था कि >> इसका भी अन्त करना है ।  ऊपर से बोला > नौजवान !  नयी कहानी सुनाओ : नौजवान बोला >> राजन्‌ !  पुराने जमाने की बात है कि मेरे बाबा आपके बाबा के साथ शिकार करने जंगल में गये ।  इतना बड़ा धनुष उनके पास था , जिसकी एक नोक नदी के एक पार पर आती थी और दूसरी नोक दूसरे किनारे पर !  राजा वह धनुष आपने देखा है ? राजा बोला >> नहीं । तब नौजवान ने कहा कि > नहीं देखा है तो फिर आज आप आराम करो ।  कल फिर नयी कहानी सुनाऊँगा

ब्रह्मी एक औषधीय पौधा

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    ब्राह्मी एक औषधीय पौधा है. आयुर्वेद में ब्राह्मी के बारे में कई बातें बताई गई हैं. ब्राह्मी का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके साथ ही रोजाना सुबह खाली पेट ब्राह्मी का सेवन करने से दिमाग बूस्ट होता है. सुबह उठकर खाली पेट ब्राह्मी का सेवन करने के कई फायदे होते हैं आइए जानते हैं इनके बारे में- याददाश्त बढ़ाता है-  ब्राह्मी का सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है. ब्राह्मी के पाउडर का सेवन दूध या पानी में मिलाकर किया जा सकता है. ये दिमाग तेज करने में फायदेमंद है. अल्जाइमर को रोकता है-  ब्राह्मी से दिमाग की नसें खुल जाती हैं. कुछ रिसर्च के अनुसार इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं. ये दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को खत्म करने में मदद करते हैं. इससे अल्जाइमर रोग की रोकथाम की जा सकती है. ब्रेन इंफेक्शन को रोके-  ब्राह्मी के सेवन से आपको दिमाग में मौजूद शिथिल कीटाणुओं को खत्म करने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं ये ब्रेन की रक्तकोशिकाओ में खून का संचार बढ़ाने का काम करते हैं।

गरीबों का सेब यानी अमरूद

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जी हां आपने बिलकुल सही पहचाना ! इसे गरीबों का सेब यानी अमरूद कहा जाता  है .. यह मिर्टेसी फेमिली का है ,इसका वानस्पतिक नाम सिडीएम गुवाजावा है ! वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका उत्पति स्थान अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय इलाके एवं वेस्टइंडीज में हुआ माना जाता है .. कहते हैं 17 वीं सदी में यह पुर्तगालियों द्वारा भारत लाया गया था .. अमरूद में .. 5.2 ग्राम फाईबर पाया जाता है जो हमारे कोलेस्ट्रोल को कम करता है .. जिससे हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है .. साथ ही अमरूद कॉंस्टिपेशन की समस्या का भी समाधान करता है। अमरूद में एंटी-ऑक्सीडेंटस पाया जाता है। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।  साथ ही शरीर को कैंसर जैसे खतरनाक रोग से लड़ने में भी मदद मिलती है। अमरूद में विटामिन-ए पाई जाती जो हमारी आंखों की रोशनी बढ़ाती है। अमरूद में पाए जाने वाले विटामिन-सी की वजह से त्वचा मुलायम और स्वस्थ रहती है। अमरूद विटामिन-बी का भी बेहतर सोर्स होता है। इसमें नियासीन होता है जो शरीर में रक्त संचार को सही करता है। अमरूद में फ्रडौक्सीन नामक तत्व होता है जो हमारे दिमाग और नसों को रिलैक्स क

घूरे के फूफा🤣

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घूरे के फूफा : - बेटा इण्टर के बाद अब क्या करोगे ? घूरे : - बी.टेक . के लिए फार्म डाला है , देखें क्या होता है ? फूफा : - और अगर अच्छी रैंक न आई तो ? घूरे : - तो फिर सिंपल .. ग्रेजुएशन कर लेंगे कहीं से भी ! फूफा : -  अच्छा मान लो इण्टर में बाई चांस लटक गये तो ? घूरे : - तो फूफा हम मर्डर करेंगे , एक रिश्तेदार का ! हमारी कुंडली में लिखा है !! बताये देते हैं ...  (इस घटना के कई साल बीत गये हैं , तब से आज तक घूरे के फूफा दिखाई नही पड़े . )

धन्य है "माँ"का प्यार

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एक बार एक व्यापारी, राजा के महल में 2 बड़ी ही खूबसूरत बकरियों को लेकर आया। दोनों ही बकरियां दिखने में बिल्कुल एक जैसी थीं। व्यापारी राजा से बोला, ‘‘महाराज, इनमें एक मां है और एक बेटी, पर मुझे यह नहीं पता कि मां कौन है और बेटी कौन है क्योंकि दोनों में लेशमात्र भी अंतर नहीं है। मुझे किसी ने कहा कि ईरान देश के राजा के मंत्री की बेहद कुशाग्र बुद्धि है और यहां मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।’’  मंत्री ने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किन्तु वह भी यह नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी? दुविधा में फंसे मंत्री ने एक दिन की मोहलत मांगी। घर आने पर वह बेहद परेशान रहा। जब मंत्री की पत्नी ने उससे परेशानी का कारण पूछा तो उसने व्यापारी की बात बता दी। यह सुनकर पत्नी मुस्कुराते हुए बोली, ‘‘बस इतनी-सी बात है। यह तो मैं भी बता सकती हूं। हां, इसके लिए मुझे उन दोनों बकरियों को देखना होगा।’’  यह सुनकर मंत्री बकरियों को ले आया। मंत्री की पत्नी ने दोनों बकरियों के आगे अच्छा भोजन रखा। कुछ ही देर बाद उसने मां व बेटी में अंतर बता दिया। सुबह मंत्री ने मां व बेटी की पहचान कर दी। व्य

शेर और खरगोश की कहानी

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शेर और खरगोश की कहानी एक जंगल में एक घमंडी व शैतान शेर रहता था और वह खुद को जंगल का राजा कहता था। वह शैतान शेर रोजाना जंगल के जानवरों को मारता था ताकि वह उन्हें खा सके। यह देखकर जंगल के सभी जानवर डरे हुए और चिंतित थे। जंगल के सभी जानवर सोचने लगे कि यदि वह घमंडी शेर लगातार ऐसा करता रहेगा तो जंगल में एक भी जानवर नहीं बचेगा। इसलिए सभी जानवरों ने शेर से कहा कि वह जंगल के सभी जानवरों को ऐसे न मारे। उन्होंने कहा कि हर दिन वे एक जानवर उसकी गुफा में भेज देंगे ताकि सभी जानवर निश्चिंत होकर रह सकें और ऐसे में शेर को शिकार भी नहीं करना पड़ेगा। शेर को यह योजना बहुत अच्छी लगी। इस तरह से उस दिन के लिए बाकी के जानवर शांति से रहने लगे और एक-एक करके बाकी के जानवर उस शैतान शेर का भोजन बनने लगे। बेचारे जानवर करते भी क्या? ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन एक चालाक खरगोश की बारी आई और उसे भी जबरदस्ती शेर के पास जाना पड़ा। खरगोश ने सोच लिया था कि वह उस शेर का अंत कर देगा। इसलिए उस खरगोश ने जंगल का लंबा रास्ता अपनाया और शेर तक बहुत देरी से पहुँचा।  भूखा शेर गुस्से में लाल था और उसने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा कि

खरगोश और कछुआ की कहानी

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. खरगोश और कछुए की कहानी एक बार एक खरगोश और एक कछुआ था। वो दोनों एक बहुत बड़े जंगल में बहुत सारे जानवरों जैसे शेर, हाथी, हिरण और मगरमच्छ के साथ रहते थे। खरगोश में यह खास बात थी कि वह बहुत तेज दौड़ता था इसलिए वो जब भी किसी के साथ रेस में भाग लेता था और तेज दौड़ने की वजह से जीत जाता था। समय के चलते लगातार जीतने की वजह से उस खरगोश को अहंकार यानी घमंड हो गया था। घमंडी खरगोश लगातार रेस में भाग लेता था और थोड़ी सी मेहनत करके ही जीत जाता था। उसी जंगल में एक समझदार कछुआ भी रहता था। खरगोश के विपरीत ही वह कछुआ बहुत धीरे चलता था। वास्तव में वह कछुआ पूरे जंगल में सबसे ज्यादा धीरे चलने वाला जानवर था। कछुआ अक्सर उस घमंडी खरगोश को देखता था और उसको यह समझ में आने लगा था कि सफलता उस खरगोश के सिर चढ़ती जा रही है। इसलिए कछुए ने सोचा कि वह खरगोश को सबक सिखाएगा। उसने खरगोश के साथ जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और खरगोश को रेस करने के लिए चैलेंज दिया। अब क्या, यह सुनते ही सभी जानवर ठहाके मारकर जोर-जोर से हँसने लगे। सबने सोचा कि कछुए से तेज दौड़नेवाले जानवर भी उस खरगोश से हार चुके थे तो जंगल में सबसे धीरे चलनेवाला

बच्चों की पसंद

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बच्चों को कहानियां बहुत अच्छी लगती हैं। वास्तव में कहानियां किसी भी फन एक्टिविटीज से ज्यादा मजेदार होती हैं। यह बच्चे के कॉग्निटिव विकास में बहुत मदद करती हैं। आज भी याद हैं वो बचपन के दिन जब नानी माँ और दादी माँ हमें रात को सोते समय परियों की कहानियां, पंचतंत्र की कहानियां और बच्चों की छोटी-बड़ी, हँसाने वाली कहानियां सुनाया करती थी। इन कहानियों की कल्पनाओं में हम एक प्यारी सी नींद में सो जाया करते थे। आप भी अपने बच्चे के साथ कुछ ऐसा कर सकती हैं, आप भी उसे प्यारी-प्यारी हास्य लघु कथाएं सुना सकती हैं ताकि आपके बच्चे की मीठी यादें बनें और वह आगे चलकर इन प्यारी सी यादों को याद करके खुश हो सके। 

भगवान शिव का घर कैलाश पर्वत

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हिंदू शास्त्रों में भगवान शिव  को कैलाश पर्वत का स्‍वामी माना जाता है।मान्‍यता है कि महादेव अपने पूरे परिवार और अन्य समस्‍त देवताओं के साथ कैलाश में रहते हैं। दरअसल पौराणिक कथाओं में ऐसी कई घटनाओं के बारे में बताया गया है जिनमें कई बार असुरों और नकारात्मक शक्तियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करके इसे भगवान शिव से छीनने का प्रयास किया, लेकिन उनकी मंशा कभी पूरी नहीं हो सकी। आज भी यह बात उतनी ही सच है जितनी पौराणिक काल में थी।भले ही दुनिया भर के पर्वतारोही माउंट एवरेस्‍ट  को फतह कर चुके हैं लेकिन कोई आज तक कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाया है। आखिर ऐसा क्‍यों है, क्या है इसके पीछे का रहस्य। हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर ही है। यह अब तक सबके लिए रहस्य ही बना हुआ है।कैल

धान की फसल🖋️

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धान की फसल से ही सिंधु और गंगा के मैदानी इलाकों के शुरुआती लोगों ने अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाया। हिंदुओं की पूजा व्रत में चावल के प्रयोग स्पष्ट है कि शुरुआती दौर से ही यह हमारे आहार श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण घटक था। सदियों की उसी परंपरा को आज भी कायम रखने की जिद ही किसान को धान के खेतों की तरफ ले जा रही है वरना धान की खेती तो अब सिर्फ घाटे का ही सौदा रह गयी है। धान की फसल इस साल अच्छी है।